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________________ - अन्वयार्थ = सामायिकरूप संस्कार कों प्रतिदिनम् आरोपितं प्रतिदिन अंगीकार किये हुएं सामायिक संस्कारं स्थिरीकर्तुम् = स्थिर करने के लियें द्वयोः = दोनों पक्षार्द्धयोः पक्षों के अर्द्धभाग में अर्थात् अष्टमी और चतुर्दशी के दिनं उपवासः = उपवासं अवश्यमपि कर्तव्यः = अवश्य ही करना चाहियें पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमृत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 402 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 v- 2010:002 'निज में वास ही उपवास' - सामायिकसंस्कारं प्रतिदिनमारोपितं स्थिरीकर्तुम्ं पक्षार्द्धयोर्द्वयोरपि कर्त्तव्योऽवश्यमुपवासः 151 = - = अन्वयार्थ मुक्तसमस्तारम्भः = समस्त आरंभ से मुक्त होकरं देहादौ ममत्वम् = शरीरादिक में आत्मबुद्धि कों अपहाय = त्याग करं प्रोषधदिनपूर्ववासरस्याद्धे = उपवास के दिन के पूर्व दिन के आधे भाग में उपवासं गृह्णीयात् उपवास को अंगीकार करें मुक्तसमस्तारम्भः प्रोषधदिनपूर्ववासरस्यार्द्धं उपवासं गृहणीयान्ममत्वमपहाय देहादौं 152 श्रित्वा विविक्तवसतिं समस्तसावद्ययोगमपनीयं सर्वेन्द्रियार्थविरतः कायमनोवचनगुप्तिभिस्तिष्ठेत्ं 153 अन्वयार्थ विवक्तवसतिं निर्जन वसतिका कों श्रित्वा = = प्राप्त होकरं समस्तसावद्ययोगम् = सम्पूर्ण सावद्ययोग कां अपनीय = त्याग कर औरं सर्वेन्द्रियार्थविरतः = सम्पूर्ण इंद्रियों से विरक्त होता हुआ कायमनोवचनगुप्तिभिः = मनगुप्ति, वचनगुप्ति और कायगुप्ति सहितं तिष्ठेत् = स्थित होवें = Visit us at http://www.vishuddhasagar.com Copy and All rights reserved by www.vishuddhasagar.com For more info please contact: akshayakumar_jain@yahoo.com or pkjainwater@yahoo.com
SR No.009999
Book TitlePurusharth Siddhi Upay
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorVishuddhsagar
PublisherVishuddhsagar
Publication Year
Total Pages584
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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