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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 168 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
टपकाकर देखना हमारी क्या दशा हो जायगी? जब साबुन-सोडा तुम्हारी नाली से बहकर जाता है, तब नाली के जीवों की हालत क्या होती है?
___ भो ज्ञानी! जब तक हम कुछ नहीं जानते थे तो समझते थे, कि मैं बहुत बड़ा ज्ञानी हूँ जब से कुछ पढ़ा, तो लगने लगा कि मैं सागर में पानी की बूंद भी नहीं हूँ इसलिए रागादि की उत्पत्ति नहीं होना अहिंसा है और रागादि की उत्पत्ति होना हिंसा है-ऐसा जिनागम में संक्षेप से कथन किया हैं इसलिए, जीवन में ध्यान रखना, विवेक के साथ, यतन के साथ काम करो, जिससे कर्म का बंध न हों
भगवान संभवनाथ,
श्रावस्ती स्थित श्री मंदिरजी (अयोध्या से १०९ किलो मीटर दूर)
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