________________
पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 101 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
हे मानवो! उसे तो आपने पशु कह दिया, अज्ञानी कह दिया है परंतु, भो ज्ञानी आत्माओ! आप भी तो कषाय का सींग मार रहे हों तुम भी अपनी घास खाओ, दूसरों की दूसरे को चरने दों तुम बैल नहीं हो, तुम मानव हों बैल का सींग तो बैल के पेट में ही लगता है, पर कषाय का सींग तो अन्तःकरण में प्रवेश कर जाता हैं अतः, वाणी के सींग मत मारो, भावों के सींग मत मारो, वासनाओं के सींग मत मारों तुम मानव हो, अतः ध्यान रखना, जब कोई विकल्प मन में आये, तो कहनाः भैया ! मैं मानव हूँ, मनुष्य हूँ मनुष्य कौन होता है ? महान सिद्धांताचार्य भगवन् नेमिचंद्र स्वामी, जो सिद्धांत-चक्रवर्ती कहलाते थे, जिन्होंने गोमटेश बाहुबली स्वामी को सरि मंत्र दिया, ऐसे महान आचार्य लिखते हैं कि मनुष्य वही होता है जो मननशील होता हैं जो मन से उत्कृष्ट होता है, मानवता से भरा होता हैं जो मनु की संतान हो, उसे मनुष्य कहा हैं मनुष्य याने कुलकरं इसलिये आपसे कहता हूँ कि मनुष्य का अर्थ है ज्ञानी, प्रज्ञावान्, बुद्धिमानं मनीषियो! समझो कि आप मनुष्य ही हो, मवेशी नहीं दूसरे की घास वह खीचें, जो मवेशी हों जब भी किसी की धन, धरती आदि पर तुम्हारी दृष्टि जाये, समझ लेना कि इस समय मैं मनुष्य नहीं, मवेशी हूँ पराधीन वैभव आदि को देखकर इस लोक संबंधी आकाँक्षा नहीं करना कि मैं चक्रवर्ती बन जाऊँ, मैं नारायण बन जाऊँ और दूषित, एकांत भाव से पर को ऐसा भी नहीं देखो कि लोगों की कैसी पूजा, कैसी ख्याति, कैसा लाभ? ऐसी मेरी भी हो जाये, तो समझ लो कि तुम मिथ्यात्व के पोषण में चले गये
दक्षिण भारत स्तिथ पेनूकोंडा के पार्श्वनाथ भगवान की प्राचीन मूर्ती
Visit us at http://www.vishuddhasagar.com
Copy and All rights reserved by www.vishuddhasagar.com For more info please contact : akshayakumar_jain@yahoo.com or pkjainwater@yahoo.com