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आपको सुनना अपने आप में एक निराला अहसास है.
यहाँ प्रस्तुत है सन् १९८६ में रक्षाबन्धन के दिन साबरमती सेन्ट्रल जेल में दिये गये आपके प्रवचन के मननीय अंश, जिनको हमारे लिए सम्पादित किया है मेरे परम श्रद्धेय मुनि श्री विमलसागरजी म. ने.
आशा है आचार्यश्री के प्रवचनों को जिस तन्मयता से सुना जाता है, उसी भाँति यह प्रकाशन भी पढ़ा जाएगा.
कृपया इसे उन लोगों तक पहुँचाइये, जहाँ इसकी सार्थकता है.
१ जनवरी, १९९३.
- जिगर जे. शाह उस्मानपुरा, अहमदाबाद.
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