________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
जब विचारों में पाप का प्रवेश
हो,
तब
तब यह गहन चिन्तन करना
कि मैं प्रतिपल मृत्यु की ओर आगे बढ़ रहा
दर कदम मेरी जीवन- यात्रा
रही है. मेरे पापों के क्या
हूँ. कदम मौत की ओर हो दुष्परिणाम होंगे ? मृत्यु का चिन्तन पाप मय प्रवृत्ति को विलम्बित करेगा और इस प्रकार सम्भव है आदमी पाप से बच जाय.
www.kobatirth.org
जब
-
-
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
२९
For Private And Personal Use Only