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= ણ્યા શી વોર હવે प्रर्दशनी का आयोजन राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर किया गया।
भगवान महावीर का सचित्र जीवन चारित्र आचार्य श्री यशोविजय जी ने तैयार करवाया। दिगम्बर जैन तीथों का परिचय देने वाले ग्रंथों का प्रकाशन श्री दिगम्बर जेन तीर्थ समिति ने किया। इस ग्रंथ के ५. खण्ड थे। यह सभी सचित्र व विस्तारपूर्वक थे। गुजराती साहित्य विपूल मात्रा में प्रकाशित हुआ। हमारी समिति ने पंजावी भाषा में ग्रंथ प्रकाशन शुरू किया। इस में अर्धमागधी से शास्त्रों का पंजावी अनुवाद स्वतन्त्र लेखन, कथा साहित्य समिल्लित था। उस का प्रकाश प्रारम्भ हुआ।
भगवान महावीर का परिचय देने वाले अनेकों वृहद चित्र वने। इन में दो का उल्लेख करना जरूरी है। पहली फिल्म थी "महासती मैना सुन्दरी" दूसरी फिल्म थी “जैन तीर्थ दर्शन'। भारतीय ज्ञान पीट ने भगवान महावीर के जीवन पर एक डाक्ट र फिल्म तैयार की। इसी प्रकार . भगवान महावीर का एक जीवन चारित्र आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि जी ने लिखा। जिस में श्वेताम्वर व दिगम्बर सामग्री का प्रयोग किया गया था। इस ग्रंथ का नाम था : "महावीर : एक अनुशीलन"। ऑडियों, विडियो भजनों के रिकार्ड सभी कम्पनियों ने निकाले। तव कम्प्यूटर का भारत में प्रवेश नहीं हुआ था। तव कम्प्यूटर युग विदेशों की वस्तु थी। इंटरनेट कोई नहीं जानता था। जैन धर्म का प्रगतिशील धर्म है। हर नई वस्तु को यह अपनाने को तैयार रहता है।
इस शताब्दी में जैन एकता को बहुत वल मिला। जिस का प्रमाण एक ध्वज, एक ग्रंथ व एक प्रतीक को मानना था। इस सदी में बहुत नई संभावनाओं को जन्म दिया। प्राचीन ग्रंथों का प्रकाशन वहुत संस्थाओं ने किया।
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