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- Rथा की ओर बढ़ते कदम संस्थापक थे। उनकी संस्था विश्व प्रसिद्ध थी। सभी संसार के धार्मिक नेता उनसे परिविंधत थे। संस्था के सम्मेलन भारत में होते रहे। इस की शाखाएं विदेशों में भी थीं। वह प्रमाणिक आचार्य थे। पहले ही भ्रमण में वह संसार के विभिन्न देशों में गए। वहां उन्होंने जैनों को संगठित किया। वह पहले गैर राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पोप ५ ने रोम में सिहांसन से उतर कर सम्मानित किया। वह पहले धार्मिक नेता थे जिन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ ने महावीर का संदेश सुनाने के लिए बुलवाया था। भगवान महावीर निर्वाण शताब्दी में जिन चार मुनियों का प्रमुख हाथ था वह थे : श्री सुशील कुमार जी महाराज, मुनि श्री नथ मल्ल (महाप्रज्ञ) मुनि श्री विद्यानंद जी महाराज, मुनि श्री जनक विजय जी। आचार्य सुशील कुमार जी महाराज ने जैन इतिहास में वह कार्य किये, जिसके लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।
आचार्य श्री सुशील कुमार जी ने हजारों अमेरिका निवासीयों और १० लाख प्रवासीय जैनियों को प्रभु महावीर का संदेश सुनाया। उन्हें ध्यान, पर्यावरण, अहिंसा, निशस्त्रीकरा जैसे सिद्धातों के बारे मे समझाया। जैन धर्म, दर्शन, मंत्र, विज्ञान, आदि विषयों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों ने जैन धर्म पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन काल में ५० जैन केन्द्र, ३५ जैन मंदिर और अनेकों संस्थाओं व अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से जैन धर्म का प्रचार किया।
इनका मुख्य कार्यालय न्युजर्सी में स्थापित हुआ। जहां १०८ ऐकड़ भूखण्ड पर जैन तीर्थ सिद्धाचलम की स्थापना आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने विदेशी भूमि पर की। जो इस सदी की महान इतिहासक घटना थी। इस प्रकार जैन धर्म यूरोप व एशिया में फैला।
उनकी सफलता को देखकर जैन धर्म के अन्य
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