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- आस्था की ओर बढ़ते कदम - कार्यकारिणी की अगली मीटिंग जालंधर में निश्चित हुई। यह मीटिंग बहुत प्रमुख थी। इस मीटिंग में ज्ञानी जैल सिहं जी ने भगवान महावीर फाउंडेशन नामक अर्ध-सरकारी संस्था का निर्माण किया। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री स्वयं बने। इस संस्था को पांच लाच रूपए ग्रांट देने की घोषणा की गई। यह १६७४ का वर्ष था, जव लाख रूपए की वहुत कीमत थी। इस ५ लाख का प्रयोग कैसे किया जाए ? इस वात का निर्णय कार्यकारिणी पर छोड़ दिया गया। कार्यकारिणी ने फैसला किया कि लुधियाना में एक भगवान महावीर होम्योपैथिक कालेज की स्थपना की जए। जिस के लिए पंजाब सरकार जमीन व अन्य साधन उपलब्ध कराएगी। जैन समाज इस के लिए व्यापक सहयोग करेगा।
सरकार ने अपने निर्णय अनुसार सभी घोषणा को क्रियानवत कर जैन समाज का मन जीत लिया। इसी वर्ष डायरी छपी। जो भगवान महावीर की शिक्षाओं से भरी हुई थी। यह डायरी सचित्र थी। जो प्रभु महावीर के जन्म से संबंधित घटनाओं को प्रस्तुत करती थी। डायरी पंजावी, हिन्दी व अंग्रजी में प्रकाशित हुई। पुस्तक ३ साल वाद प्रकाशित हुई। इसी बीच हिन्दी से पंजावी में अनुवादित महावीर सिद्धांत और उपदेश प्रकाशित हो गई। इस पुस्तक का सम्मान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ। सारे पंजाव में कमेटीयों को इस समारोह में सहयोग करने के लिए एक अधिसूचना जारी हुई। अधिसूचना में नगर पालिकाओं से हर शहर में भगवान महावीर के नाम से चौंक, पार्क व बाजारों का नामकरण करने का आग्रह किया था। पंजाब के हर छोटे वडे करवे में यह कार्य शुरू किए गए। पंजाब के हर शहर में प्रभु महावीर के नाम से बाजार, गली, मुहल्लों का नामकरण हुआ। भारत सरकार ने इस वर्ष को अहिंसा वर्ष
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