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= आस्था की ओर बढ़ते कदम अतिथि रखा जिस में साध्वी श्री मोहनकुमारी 'तारानगर' व उपप्रवर्तनी साध्वी श्री स्वर्णकांता का नाम भी शामिल किया गया। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी ने अपने नाम की मंजूरी दे . दी। परन्तु तेरापंथी साध्वी को संस्था में शामिल करने के लिए पत्र व्यवहार आचार्य श्री तुलसी जी से करना पड़ा।
अंत आचार्य तुलसी जी महाराज की ओर से हमें आज्ञा पत्र मिल गया। स्थानक वासी मूर्तिपूजक को वरावर स्थान दिया गया। तेरामंथ का तृतीय व दिगम्बर सम्प्रदाय को अंत में स्थान मिला। हमारी समिति क्योंकि समिति की संस्थापक थी उस के द्वारा भेजे समस्त नाम सरकार ने ले लिए गए। हमारे लिए यह गौरव का विषय था। समिति की स्थापना की सरकारी घोषणा :
आखिर वह घड़ी आ पहुंची। हमारी मेहनत । सफल हुई। जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हम ने यह प्रयत्न किया था प्रभु महावीर के आशीर्वाद से इस में सफलता मिल गई। एक राज्यस्तरीय समिति गठित हुई। जिसके संरक्षक माननीय राज्यपाल थे। समिति के प्रधान मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह थे। कार्यकारिणी अध्यक्ष सेट भोज राज जैन को बनाया गया। प्रधान सचिव शिक्षा मंत्री श्री गुरमेल सिंह वने। कार्यकारिणी मंत्री शिक्षा सचिव वनाए गए। वाकी समिति जैसे और किस प्रकार कार्य करेगी यह प्रथम मीटिंग में तय होगा। यह समिति एक कार्यकारिणी भी वनाएगी। जो निर्वाण शताब्दी के प्रोग्राम तय करेंगे। नोटिफिकेशन की खवर सभी समाचार पत्रों में आ गई थी।
हम दोनों जव नोटिफिकेशन की प्रति लेकर निकले, तव लुधियाना के कुछ सज्जन सरकार से समिति के गटन के बारे में वातें करने गए थे। क्योंकि उनके कुछ मित्रों के नाम शामिल नहीं थे। उन सज्जनों के नाम भी इस कमेटी
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