________________
आस्था की ओर बढ़ते कदम
प्रकरण ५
संस्थाओं का निर्माण
२५००वीं महावीर निर्वाण शताब्दी की भारत सरकार द्वारा घोषणा
राष्ट्रीय समिति की स्थापना :
"
आचार्य श्री तुलसी जी, आचार्य श्री सुशील मुनि जी, उपाध्याय श्री अमर मुनि जी, साध्वी श्री स्वर्णकांता जी के आर्शीवाद से हम संस्थाओं के निर्माण की ओर आगे बढ़े। इन कार्यों में प्रमुख कार्य था भगवान् महावीर का २५००वां निर्वाण महोत्सव मनाने के लिए चारों सम्प्रदायों की कमेटी का निर्माण करना । अब हमारे लिए प्रमुख समस्या थी जैन धनं में से हमारा कन परिचय | छोटी आयु होने के कारण हमें कोई जानता नहीं था । जैन धर्म सदीयों से विभिन्न सम्प्रदायों में वदल रहा है। कभी श्वेताम्बर, कभी दिगम्बर. कभी स्थानकवादी कभी तेरहपंथी । सभी सम्प्रदायों की मान्यता भिन्न भिन्न है। पर सिद्धांतों की दृष्टि से जैन धर्म में एकता है। इस एकता का आधार अनेकांतवाद का सिद्धांत है। भगवान महावीर का २५००वां निर्वाण शताव्दी समिति में जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों के प्रमुख आचायों, मुनियों के नेतृत्व में प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने एक समिति गठित की। राष्ट्रपति इस के सरप्रस्त बने । समित की पहली मीटिंग में ५० लाख रूपए अखिल भारतीय स्तर के समारोह पर खर्चने की घोषणा की गई। समिति ने राज्यस्तरीय समिति गठित करने का फैसला लिया गया। इसी दृष्टि से भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों को समितियां गठित करने को लिखा । कई राज्य सरकारों ने
60