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आस्था की ओर बढ़ते कदम श्वेतवर्णीय २.१६ मीटर उंची पद्यासन प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि :
गिरिवर दर्शन विरला पावे ।
जिन शत्रुंजय तीर्थ नहीं भेट्यो तो गर्भ वास
कहतंरे ।
यह पुख्य मन्दिर माना जाता है जो भव्य परिसर से घिरा है। मूल मन्दिर में रावण वृक्ष का प्राचीन है। इस वृक्ष के नीचे प्रभु ऋषभदेव ने तपस्या की थी। आज यहां २५ फुट की विशाल चरण पादुकाएं भक्तों की आत्मा का कल्याण करती हैं
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पालीताना में आगम मंदिर प्रसिद्ध है। जिस में सभी ४५ आगम शिलाओं पर खुदे हुए हैं। जम्बूदीप, विशाल म्यूज़ियम दर्शनीय है ।
पीर अंगारे शाह :
यहां एक अनुपम स्मारक पीर अंगारे शाह की कब है। जहां हर तीर्थ यात्री पर्वत पर चढने से पहले शीश सुकाता है । इस संत ने तीर्थ की रक्षा के लिए आक्रमणकारीयों पर अंगारे वरसाए थे। इस कारण इसका नाम अंगारे शाह पड़ा। इस मुस्लिम फकीर ने मूर्ति भंजक विदेशी आक्रमणकारीयों से इस तीर्थ की रक्षा की थी। जैन समाज इस अज्ञात संत के ऋण से कभी कभी मुक्त नहीं हुआ। इस कारण अंगारे शाह को संत ही नहीं भूमि रक्षक देव के रूप में पूजा जाता है। इस तीर्थ पर एक दिगम्बर जैन मन्दिर है। अंतकृतदशांग सूत्र में यहां से मोक्ष जाने वाले साधु साध्वीयों का वर्णन मिलता है।
इस तीर्थ पर हर राज्य शाषण में शिकार पर प्रतिबंध रहा है। मुगलकाल से महाराज अकबर ने कई
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