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રહ્યા છે :ોર oc सम्पर्क का अभाव भी रहा, पर कुछ भी हो, जयपुर में आचार्य तुलसी जी व उनके शिष्य परिवार के दर्शन हमारे लिये मंगलमय आशीवाद था । हमने वहां कुछ साहित्य व प्रचार सामग्री ली । फिर वहां के लोगों से दर्शनीय स्थलों की जानकारी मांगी । श्रावक वर्ग में कई ऐसे श्रावक थे, जो हमारी इस मीटिंग में शामिल होने के लिये आये थे । इन्हीं श्रावकों ने हमें अजमेर नाथ द्वारा रणकपुर तीर्थ की यात्रा का सुझाव दिया । हमें करीवी रास्ता बताया गया । हम वापिस सभा रथल पर आ गये।
महावीर इंटरनैशनल की मीटिंग उसी होटल में शुरू हुई । इस मीटिंग की कार्यवाही तीन दिन चलनी थी । हमन इसमें एक दिन के लिये भाग लिया, फिर दूसरे दिन जयपुर देखने का कार्यक्रम दनाया । इस क्रम में हमने एक आटो रिक्शा पूरे दिन के लिये किया । उसे कहा “तुम जितना जयपुर दिखा सकते हो दिखा दो, शाम तक तुम्हें हमारे साथ रहना है । दोपहर का खाना हम खा चुके थे । जव आचार्य तुलसी के दर्शन करने गये थे, तब हम मूर्तियों वाला वाजार आराम से देख कर आये थे । जयपुर की भव्यता बेमिसाल है । इतना शान्त शहर जहां हर तरह के लोग घूम रहे थे । हमारी इच्छा सारा जयपुर देखने की थी, पर हमें आसपास के तीर्थ भी देखने थे । सबसे पहले हम आमेट के किले में पहुंचे । यह किला जयपुर से अलग ही स्थान पर स्थित है । यह स्थान जयपुर की अपनी पहचान है । यह किला र कि.मी. के रकबे में फैला है । एक ऊंची पहाड़ी पर विशाल किला भारतीय इतिहास की धरोहर है । हम आटो से आमेट किला पहुंचे । उस समय भयंकर गर्मी पड़ रही थी 1 किले के द्वार पर हाथियों की विशाल संख्या खड़ी थी, यहां पर्यटकों को हाथी पर सवार करा कर सारा किला
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