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- आस्था की ओर बढ़ते कदम में अद्भुत उत्साह पैदा होता है. । तीथों में हुई घटनाएं
आखिों को आ घेरती हैं । इतनी लम्बी यात्रा में हमें बहुत ज्ञान प्राप्त हुआ है । हमने जो पुस्तकों में ज्ञान पढ़ा था, गुरुओं से जाना था सभी चिन्तन को मौके पर जाकर देखने का अवसर मिला । इससे हमारी आस्था वलवती हुई । हमें इस यात्रा के माध्यम से एक-दूसरे को समझने का अच्छा मौका मिला । हम अपने गुरुओं से मिले । उनके दर्शन किये, उनसे अपने प्रश्नों का समाधान किया । एक इतिहास व पुरातन के विद्यार्थी होने के नाते हमें इस यात्रा से जैन, वौद्ध, हिन्दू पुरातन रथलों को देखने का अवसर मिला । सारी यात्रा श्रद्धामयी वातावरण में हुई । भारत की पुण्यभूमि पर अनेकता में एकता के दर्शन हुए । ऐसा वातावरण-गृहस्थी में निलना मुश्किल है । घर में रहकर व्यक्ति घरेलू, समस्याओं में उलझा रहता है । ऐसे में मानसिक शांति के लिये तीर्थ यात्रा का अपना महत्व है । हमें सारी यात्रा में कहीं भी किसी तरह की रुकावट नहीं आई । छोटी-मोटी तकलीफ के इलावा सारी यात्रा सद्भावना के माहौल में सम्पूर्ण हुई । यह यात्रा हमारे रिश्ते को भी दृढ़तम करने में मील का पत्थर सावित हुई है । मैंने अपने धर्मभ्राता रवीन्द्र जैन के साथ इकट्टे यात्रा करने का वायदा पूरा किया । अब अगले प्रकरण में हमारे द्वारा की गई अन्य तीर्थ यात्राओं का वर्णन है जो हम दोनों ने की थीं।
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