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- आस्था की ओर बढ़ते कदम श्री पार्श्वनाथ कल्याण केन्द्र की स्थापना की है । इस मन्दिर की ऊपरी मंजिल पर महाप्रभावक आचार्य श्री शांति विजय जी म० की प्रतिमा है । जिसके कारण बहुत सारे यात्री इस स्थान पर ठहरना पसन्द करते हैं ।
हमारी शिखर जी की यात्रा
नवादा से दोपहर को हम बस द्वारा चलकर गिरडिह पहुंचे । यहां से एक छोटा सा रास्ता मधुवन को जाता है, इस रास्ते का हमे ज्ञान नहीं था, परन्तु बस में बैठे कुछ यात्रियों ने हमारा मार्ग दर्शन किया । उन्होंने बताया कि आप लोगों को कोण्डरमा पार्श्वनाथ जाने की आवश्यकता नहीं, जब तक आप कोण्डरमा पहुंचोगे तव तक आप मधुवन पहुंच जाओगे। अगर आप टैक्सी से जाओ तो आप यह रास्ता शीघ्र तय कर लोगे । हम गिरडिह उतरे, वस स्टैंड से टैक्सी ली, उस समय शाम पड़ चुकी थी, रात्रि का सन्य आ गया था । टैक्सी के माध्यम से आधे घण्टे में पवित्र मधुवन के दर्शन कर रहे थे । मधुवन पहुंचते ही हमारी सारी थकावट दूर हो गई । हम श्री श्वेताम्बर जैन फोटो मधुवन पहुंचे, वहां धर्मशाला का विशाल परिसर है । धर्मशाला में मन्दिर का भव्य परिसर है, इसमें अनेकों नवीन ८ प्राचीन मन्दिर थे । इस धर्मशाला के बाहर भोमिया जी तीर्थ रक्षक की भव्य प्रतिमा थी । अन्दर के मन्दिर तीर्थकरों. की प्रतिमाओं से भरे पड़े थे । यह ऋषभदेव, वासुपूज्य, नेनिनाथ व महावीर को छोड़ सभी तीर्थंकरों का निर्वाण हुआ था । वैसे सभी तीर्थकर यहां पधारे थे ।
दिगम्बर मन्दिर में अधिकांश प्रतिमाएं भगवान पार्श्वनाथ की थीं । इसी तरह यहां समोसरण मन्दिरका भव्य परिसर था, जिसमें विशाल समोसरण था । वाहर ३ चौवीसी, उनसे
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