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-आस्था की ओर बढ़ते कदम १७. साध्वी श्री कमला जी १८. साध्वी श्री श्रुति जी १६. साध्वी डा० श्री स्मृति जी २०. साध्वी श्री प्रवीण जी २१. साध्वी श्री चन्दना जी २२. साध्वी श्री स्वाति जी २३. साध्वी श्री तारामणी जी २४. साध्वी श्री पूजा जी २५. साध्वी श्री आरती जी
सभी साध्वीयों का जीवन साधना की दृष्टि से उत्कृष्ट रहा है। सभी साध्वीयां अपने बड़ों के प्रति कर्तव्य को पहचानती हैं। सेवा के मामले में तो दे एक दूसरे से बढ़कर हैं। कोई साध्वी किसी पर क्रोध या आदेश नहीं करती। स्व० साध्वी श्री स्वर्णकांता जी का परिवार स्व० आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी की दृष्टि में अनुशाषित साधी परिवार है। सादी श्री स्वर्णकांता जी महाराज को अध्ययन का बहुत शौक था। अगर कोई जैन ग्रन्थ प्रकाशित हो तो महाराज श्री तत्काल इस की ५ प्रतियां मंगवाने के लिए श्रावकों को कहते। वह वषों तक स्वयं स्वाध्याय करती रहीं। गुरू की प्रेरणा शिष्या में स्वयंमेव आ जाती है। जीवन का कोई पल ऐसा नहीं जव इन साध्वीयों को कभी प्रमाद में देखा हो। सभी साध्वीयां हर समय धर्म क्रिया में लीन रहती हैं। लोगों को सद् कर्म करने का उपदेश देती हैं। नया ज्ञान अर्जित करने में तत्पर रहती हैं। अपने बडों की सेवा जिस ढंग से इन साध्वीयों ने की .उस का उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। ३ वष दिन रात जा. कर अपनी गुरूणी साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की समर्पण भाव से सेवा की। २ - २ घंटे नींद ली। अंतिम संथारा के दिनों में तो सभी साध्वीवों ने गुरूणी को पाट
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