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- आस्था की ओर बढ़ते कदम फिर श्री मदन लाल हसीजा जी निर्देशक भाषा विभाग ने हमारा परिचय व हमारी साहित्यक यात्रा का वर्णन
अपने शब्दों में किया। इस के पश्चात् एक भाई ने भाषा विभाग पंजाब की ओर से तैयार अभिनंदन पत्र हमारे सम्मान में पढ़ा। इस को प्रकाशित कर लोगों में बांटा गया। फिर मुख्य मेहमान सरदार कृपाल सिंह लिबड़ा मंच पर खड़े हुए। उन्होंने सर्व प्रथम हमें अभिनंदन पत्र प्रस्तुत किया। इस के पश्चात् उन्होंने भाषा विभाग पंजाब की ओर से दोनों को एक एक शाल ओढ़ाया। इन शालों पर पंजाब का मान चित्र प्रकाशित था, जो भाषा विभाग का चिन्ह है।
फिर स० लिबडा ने हमारे सम्मान में कुछ शब्द कहे। उन्होंने हमें मुबारिकवाद देते हुए, भाषा विभाग पंजाब की सभी प्रशंसा की जो पंजाबी भाषा के विद्वानों को ढूंढ कर सम्मानित करता रहता है।
हमारी ओर से धन्यवाद के रूप में विशिष्ट अतिथियों को हमारे प्रसिद्ध प्रकाशनों के सेट भेंट किए गए। यह समारोह छोटा था या वडा यह मेरे चिंतन का विषय नहीं। पंजाब सरकार ने हमारे साहित्य व जैन धर्म का सम्मान किया था। इस लिए हमारे लिए यह समारोह महत्वपूर्ण था कि दो पंजाबी जैन साहित्य के विद्वानों को उनके अपने राज्य में सम्मानित किया जा रहा था। मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने हम दोनों की ओर से पंजाब सरकार के भाषा विभाग का धन्यवाद करते हुए कहा गया “यह हमारा सम्मान नहीं, बल्कि प्रभु महावीर व जैन धर्म के सिद्धांतों का सम्मान है। जो हर युग में शाश्वत है।"
अभी २ अप्रैल २००३ को गोबिन्दगढ़ के पत्रकार ने हमारा पंजावी साहित्य ओमान में स्थित इंडियन सोशल कलचर सोसाईटी नस्कट को भेंट किया। सोसाईटी के अध्यक्ष
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