________________
आस्था की ओर बढ़ते कदम
I
माध्यम से भारत सरकार को प्राकृत भाषा से पंजाबी में अनुवाद ग्रंथों का परिचय मिला। यही नहीं, विभिन्न धार्मिक व समाजिक संस्थाओं ने हमारे कार्यों को देख कर हमारा सम्मान किया। सम्मानों का क्रम बहुत लम्बा है। मैं सब से वडा सम्मान राष्ट्रपति ज्ञानी जैन सिंह द्वारा राष्ट्रपति भवन में पुरातन पंजाब विच जैन धर्म के विमोचन को समझता हूं। एक राष्ट्र प्रमुख मेरे जैसे जैन धर्म के सेवक का सम्मान जैन धर्म के प्रति की सेवाओं के लिए करे यह बात छोटी नहीं। पर सम्मानों का सिलसिला तव शुरू हुआ था, जो निरंतर जारी है। कई लेखक सभाएं व समाजिक संस्थाएं मेरा व मेरे धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन का सम्मान कर चुकी हैं। इस सव के पीछे साहित्य अकैडमी के इस ग्रंथ का बहुत वडा हाथ है। मेरे अगले अध्ययन में कुछ विशेष समारोहों का वर्णन करूंगा, जो हमारी आस्था का फल कहे जा सकते हैं जीवन में कुछ घटनाएं सहज ही घटित हो जाती हैं। ऐसी ही घटना है भाषा विभाग पंजाद द्वारा हमारो सम्मान। भाषा विभाग से हमारे परिचय उस समय हुआ, जब यहां से हमें पंजाव विश्वकोष में जैन प्रविष्टीयां लिखने को कहा गया। हमारा परिचय सहायक निर्देशक डा० मदन लाल हसीजा से हुआ। श्री हसीजा मृदुल स्वभाव के सज्जन हैं। एक दो भेंट के बाद लगा कि वह विद्वानों का बहुत सम्मान करते हैं। हम करीबन ४ साल इस कोष के लिए ऐंटरी लिखते रहे। यह कोष अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ। इस में पंजाब से संबंधित महापुरूषों, स्थानों, स्मारकों का परिचय है । वैसे हमे पंजाबी विश्वकोष में जैन धर्म और आचार्य श्री सुशील कुमार जी ऐंटरी लिखने को कहा गया था। जिसे हमने लिखा । पर किसी कारण अभी तक यह ऐंटरी प्रकाशित नहीं हुई। इसी विभाग के एक सज्जन श्री ओ.पी. आनंद
259