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अस्था की ओर बढ़ते कदम
थे
। इस वर्णन उन्होंने अपने भाषण में किया।
समारोह का मंगलाचरण :
साध्वी मण्डल ने मंगलाचरण किया। तत्पश्चात् जैन धर्म का पंचरंगा ध्वजा श्री अग्रवाल ने फहराया। फिर स्थानीय संघो के प्रधानों, विद्वानों व सम्पादक मण्डल का समरत अम्वाला श्री संघ ने वहुमान किया। सभी को विशेष मंच पर विठाया गया। सभी का परिचय स्थानीय मंत्री जी को दिया गया ।
सर्व प्रथम आचार्य नित्यानंद जी महाराज के प्रवचन हुआ । उसके बाद श्री मेजर मुनि जी महाराज ने साध्वी श्री स्वर्णकांता का गुणगान अपने प्रवचनों में किया ! साध्वीयों में क्रमशः साध्वी श्री किरणा जी व साध्वी श्री स्मृति जी के प्रवचन हुए । प्रोग्राम की सूची बहुत लम्बी थी । रंगारंग कार्यक्रम के आयोजन अलग था। स्कूल के बच्चों ने साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के जीवन पर एक नाटक दिखाया। जो उनके जीवन की सच्ची झलक प्रस्तुत करता था। फिर सभा के मंत्री ने सभी आगन्तुकों का धन्यावाद किया । अव शुरू हुआ समारोह का मुख्य आकर्षण ।
सर्व प्रथम डा० मदन लाल हसीजा निर्देशक भाषा विभाग पंजाव ने अभिनंदन पत्र पढ़ा। अभिनंदन पत्र बहुत से श्री संघ भी लेकर आए थे। सारे अभिनंदन पत्र पढ़ना मुश्किल था । साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की दीक्षा स्वर्ण जयंती पर श्री समस्त श्री संघ समर्पित करने के लिए चादरें लाए थे। चादरों के साथ ही अभिनंदन पत्र उन्हें समर्पित किए गए। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज ने अस्वस्थ होते हुए भी सारे श्री संघ का धन्यवाद किया । फिर आया अभिनन्दन ग्रंथ समर्पण का अवसर । सभी सम्पादकों का परिचय मंत्री ने दिया। उनके द्वारा
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