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-आस्था की ओर बढ़ते कदम सम्मेलन में यह शास्त्र की प्रथम प्रति आचार्य श्री को समर्पित की। शास्त्र विभिन्न साधु साध्वीयों को आचार्य श्री. ने स्वयं वितरित किए। यह समारोह रेडक्रास भवन अम्बाला में हुआ। इस ग्रंथ की प्रस्तावना साध्वी डा. श्री मुक्ति प्रभा जी महाराज ने लिखी। फ्रांस की प्रसिद्ध जैन विदूषी डा० नलिनी बलवीर ने शास्त्र के बारे विद्वता पूर्ण विचार प्रकट किए।
- इस शास्त्र का समर्पण समारोह दिल्ली के विवेक विहार में हुआ। जहां इस की प्रति साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज को भेंट की गई। इस भव्य दीक्षा दिवस पर स्व० भण्डारी श्री पदम चन्द जी महाराज अपनी शिष्य मण्डली सहित विराजमान थे। यह हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण शास्त्र का कार्य था। आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज की अंतिम कृति का प्रकाशन उनकी दीक्षा शताब्दी पर हुआ। आचार्य श्री वहुत. महान साहित्यकार भी थे। उनकी कृति हमारे लिए उनके जीवन का महत्व बताने के कारण थी। शास्त्र में मूल के पाठ के अतिरिक्त संस्कृत छाया, शब्दार्थ, मूलार्थ, व्याख्या व टीका थी। यह कार्य बहुत विशाल था। इस ग्रंथ की भूमिका हम दोनों ने लिखी। इस ग्रंथ का राष्ट्रीय व अंर्ताष्ट्रीय स्तर पर सन्मान हुआ।
इस ग्रंथ का विमोचन बहुत ही भव्य था। हमारे पूज्य जैन आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज का अंतिम सम्मेलन था। यह विश्व धर्म सम्मेलन था जो कृपाल वाग दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस शास्त्र का विमोचन कृपाल बाग में रूहानी सतसंग मिशन के प्रमुख संत राजेन्द्र सिंह जी महाराज ने अपने कर कमलों से किया। स्व० आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने अपने प्रवचन में हम दोनों की बहुत प्रशंसा की थी। यह सम्मेलन तीन दिन तक चला। संसार के कोने कोने से देशी विदेशी लोग हर धर्म को मानने
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