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आस्था की ओर बढ़ते कदम
पुरूषोत्तम जैन का विमोचन और हुआ, यह पुस्तक मेरे धर्मभ्राता रविन्द्र जैन ने राष्ट्रभाषा हिन्दी में लिखी थी । इस पुस्तक का विमोचन भी मेरे धर्मभ्राता ने ज्ञानी जी से करवाया। वह पुस्तक राष्ट्रपति भवन में मुझे भेंट की गई। यह किसी राष्ट्रपति द्वारा जैन साधु, साध्वी व लेखकों का प्रथम अभिनन्दन था । जो हमारे जीवन की महत्वपूर्ण अनुभूति है । इस विमोचन से हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तरं पर जैन इतिहासकार के रूप में मान्यता मिली। मेरे धर्मभ्राता ने इसी दिन मेरा ४०वां जन्मदिन राष्ट्रपति भवन में मनाया ।
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लघु पुस्तिकाएं
पुरूषोत्तम प्रज्ञा १ :
यह प्रधन जैन विज्ञप्ति है जो ३१ मार्च और १० नवंबर को पंजावी भाषा में प्रकाशित होती है। इस में शोध निबंध भी प्रकाशित होते हैं।
आचार्य श्री तुलसी जी २ :
इस कृति की रचना आचार्य श्री तुलसी के पंजाव पधारने पर हुई थी। उनके जीवन, कृत, व महानता पर पंजावी भाषा में यह लघु पुस्तिका है। आचार्य श्री जैन समाज के महान कवि, लेखक व वक्ता हुए हैं। आप का परिचय पीछे किया जा चुका है।
आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज ३ :
दिगम्बर आचार्य श्री देशभूषण के जीवन, कृतित्व पर प्रकाश डालने वाली हमारी यह लघु कृति है । आचार्य श्री सैंकड़ों ग्रंथों के रचयिता हैं।
माता ज्ञानमति जी ४ :
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