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- વાસ્થા હી વોર હઠ રુદ્રા इस ग्रंथ का विमोचन डा० गोपाल सिंह दर्दी चेयरमैन अल्पसंख्यक आयोग ने किया। यह किसी पंजावी जैन ग्रंथ का अखिल विश्व स्तर पर प्रथम विमोचन था। उन्होंने हमारे इस अनुवाद की युक्त कंठ से प्रशंसा की। आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने इस ग्रंथ का परिचय हिन्दी व अंग्रेजी में दिया। हमें व हमारी गुरुणी जी को पंजावी साहित्य की सेवाओं के लिए उन्होंने साधुवाद दिया। हमें उनका व संसार की महान आत्माओं का आशीवाद प्राप्त हुआ। इस ग्रंथ को संसार के कोने कोने तक पहुंचाने के लिए, विश्व भर के २०० प्रतिनिधीयों को यह ग्रंथ भेंट किया गया। डा० दी प्रथम पंजावी जैन गंथ को देख कर एक बार चक्ति रह गए। उन्होंने विमोचन का अवसर प्रदान करने के लिए आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज का आभार प्रकट किया। इस बात का वर्णन उन्होंने अपने भाषण में किया।
हमारो हौसला बढ़ा, मैं लम्बी अस्वस्था के वाद टीक हुआ था। मैं प्रभु महावीर का धन्यवाद करने दिल्ली से श्री महावीर जी तीर्थ पहुंचा। इस तीर्थ के बारे में हमने सुना ही था, दर्शन नहीं किए थे। हमें इस तीर्थ के वारे में जैसा देखा था उस से अधिक पाया। कहने को यह दिगम्वर तीर्थ है, पर यहां सारे भारत से हर जाति, वर्ग के व नस्ल के भक्तगन देश विदेश से आते हैं। यह मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है। मेरे धर्मभ्राता श्री रविन्द्र जैन हर वर्ष इस तीर्थ पर वन्दन करने जाते हैं। पर यहां पहली वार हम इस विमोचन समारोह के वाद गए थे। श्री सूत्र कृतांग सूत्र - ३
जैन आगम साहित्यों में श्री आचारंग सूत्र के वाद सूत्रकृतांग का स्थान है। यह एक ऐसा दार्शनिक ग्रंथ है
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