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ગ્રામ્યા છી ગોર વતે છા नवम अध्ययन में नंदिनी फिता के श्रावक जीवन का वर्णन है। दसवें अध्ययन में सालिहिपिता का वर्णन है । इन दोनों श्रावकों के जीवन में कोई उल्लेखनीय घटना घटित नही हुई। इन सभी श्रावकों के जीवन का उल्लेख करने वाली कुछ गाथाएं संग्रहणी सूत्र में उपलब्ध हैं । यह मूल शास्त्र भाग नहीं। यह गाथाएं शास्त्र का सार हैं 1
दसों श्रावकों के नगर - एक श्रावक, वाणिज्य ग्राम, चम्पा में एक, वाराणसी में दो, कपिलपुर में एक, पोलासपुर में एक, राजगृह में एक, श्रावस्ती में दो श्रावक
पैदा हुए।
२. पत्नीयों के नाम :
शिवनंदा, भद्रा, श्यामा, धन्ना, बहुला, पुष्पा, अग्निमित्रा, रेवती, आदि, उपत्नीयां अश्विनी और
फलगुमित्रा ।
३. मरणोत्तर देव विमानों के नाम :
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अरुण, अरुणाभ, अरुणप्रभ, अरूणकातं,
अरूण्नेष्ट, अरूणध्वज, अरुणभूत,
अरूणावंतसर, अरूणागव, और अरुणाशील में देव भव में
पैदा हुए ।
४. पशुध :
एक व्रज में १०,००० गायें होती थी। उसी के अनुसार १० श्रावकों के व्रजों की संख्या क्रमशः इस प्रकार है । (१) ४, (२) ६, (३) ८, (४) ६, (५) ६, (६)
६, (७) ६, (८) ८, (६) ४, (१०) ४,,
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धन : प्रथम श्रावक के नाम १२ करोड, दूसरे के पास
१८ करोड, तीसरे के पास २४ करोड, चौथे के पास १८
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