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आस्था की ओर बढ़ते कदम प्रिय लोगों ने राजघाट गांधी की समाधि पर धरणा दिया। एक दिन मैंने भी धरणा दिया। प्रसन्नता की वात थी उस दिन सभी धर्म के अल्पसंख्यक गुरू शामिल थे। मुझे उनसे भेंट करने व साहित्य भेंट करने का अवसर मिला। मैंने अपने पूरे वर्ष केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को इस संदर्भ में लिखा। अव कांग्रेस प्रधान श्रीमति सोनिया गांधी से देहली में जैनों ने यह मांग उठाई है। मुझे विश्वास है कि जल्द ही केन्द्र सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी।
मैंने इस प्रकरण में उन संस्थाओं का संक्षिप्त पर महत्वपूर्ण वर्णन किया जिन की स्थापना मैंने साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज की प्रेरणा से की थी। आचार्य सुशील कुमार जी महाराज के उपकार हम कैसे भूला सकते हैं जिन्होंने जैन धर्म को विश्व के कोने कोने तक पहुंचाया। उनके स्वर्ग वास से पहले ही साध्वी डा० साधना जी महाराज गुरुदेव को कायों को आगे बढ़ा रही थी। उनके स्वर्गवास के वाद उन्होंने आचार्य सुशील मुनि पर शोधनिबंध लिख कर डी.लिट. की डिगरी प्राप्त की। आचार्य सुशील गौ सदन, आचार्य सुशील मार्ग, आचार्य सुशील चौंक नई दिल्ली की स्थापना ही। होशियारपुर के पास एक हस्पताल का निर्माण पंजाव सरकार के सहयोग से करवाया। आचार्य सुशील मुनि के गुरू श्रद्धेय आचार्य सोभाग्य मुनि का आशीर्वाद भी कम नहीं रहा।
इसी प्रकार पंजावी भाषा में जैन साहित्य लिखने के कारण मुझे बहुत सारी पंजावी संस्थाओं का वुलावा आता रहता है। इन संस्थाओं ने हमारे जैन साहित्य का बहुत सन्मान किया है। इस कारण विद्वानों से मिलने का अवसर मिला है। संस्थाओं के निर्माण के साथ साथ मुझे कुछ
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