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आस्था की ओर बढ़ते कदम
मेरे धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन बहुत सहायक हैं। वह हर कार्य में मेरे से विमर्श करते हैं । साध्दी स्वर्णा जैन पुस्तकालय इसी विमर्श का फल है। इस पुस्तकालय को साध्वी गुरूणी श्री सुधा जी महाराज ने पुस्तकों का सहयोग दिया है। यह धाम जैन मुनि श्री विमल चन्द्र चैरिटेवल, सन्नति ट्रस्ट के आधीन कार्य करता है। ट्रस्ट की संस्थाएं कुप्प, जगराओं, जालंधर, उदमपुर, जम्मू व पठानकोट व रणवीर सिंह पुरा में हैं। यह संस्था अनेको स्कूलों, कालेजों, सिलाई स्कूलों, साईंस कालेजों, मंदिरों, गौ सदनों व उपाश्रयों को चलाती है। कुप्प में भव्य जैन मंदिर वन रहा है जिसकी आधारशिला आचार्य श्री नित्यानंद जी महाराज ने की थी । सारे भारत में यह स्थान जैन कला, स्थापत्य व संस्कृति का केन्द्र वन पाएगा। हमारी गुरूणी श्री स्वर्णकांता जी महाराज का यह अनुपम व शाश्वत स्मारक होगा। यह संस्था पंजाब का भविष्य में नाम करेगी। इस संस्था की संचालिका साध्वी डा० जैन भारती जी महाराज हैं। जो ३० वर्षों से संस्था की सेवा कर रही हैं। उनके साथ उनकी शिष्याएं भी सेवा कर श्री श्वेताम्बर आदिश्वर धाम
रहीं हैं।
जैन जैन मन्दिर
सोसाईटी :
यह कुप्प में वन रहे मंदिर का भाग है। मैं इस कमेटी का सदस्य हूं। मेरा धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन इस संस्था का सचिव है। मंदिर निर्माण की जिम्मेवारी गुरूदेव ने इस संस्था को सौंप रखी है। इस मंदिर की सारी प्रेरणा गुरुदेव को शिष्या डा० जैन भारती साध्वी, साध्वी श्री रमा भारती व साध्वी श्री आशा भारती जी हैं। इस मन्दिर को खरतरगच्छ के प्रसिद्ध उपाध्याय गणिमणि प्रभवसागर जी महाराज ने २४ जैन प्रतिमाएं श्री जिनकान्ति सागर ट्रस्ट
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