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थः द्वितीय मन्त्राधिकार
स्वर और व्यंजनों के स्वरूप
श्र - वृत्तासन, हाथी का वाहन, सुवर्ण के समान वर्ण, कुकुम गध, लवरण का स्वाद, जम्बूद्वीप मे विस्तीर्ण, चार मुख वाला ग्रष्ट भुजा वाला, काली आँख वाला, जटा मुकुट से सहित, सितवर्ण, मोतियो के आभरण वाला, अत्यन्त बलवान, गम्भीर, पुल्लिंग, ऐसा 'अ' कार का लक्षण है ।
आ. - पद्मासन, गज, व्याल, वाहन, सितवर्ण, है, दो मुख वाला, आठ हाथ वाला, सर्प का भूषण है, धारण करने वाला, तीस हजार योजन, विस्तार वाला, स्त्रीलिंग है, जिसका ऐसा 'आ' कार का लक्षण है ।
शख, चक्र - कमल, अकुश का आयुध जिसको शोभानादि महाद्युति
इ कछुवे का वाहन, चतुरानन, सुवर्ण जैसा वर्ण वज्र का प्रायुध वाला, एक योजन विस्तार वाला, द्विगुरण उत्सेध वाला, कषायला स्वाद वाला, वज्र, वैडूर्य वर्ग के अलकार को धारण करने वाला, मन्द स्वर वाला और नपुंसक लिंग वाला और क्षत्रिय है, ये 'इ' कार का लक्षण है ।
ई – कुवलय का आसन, वराह का वाहन, मन्द गमन करने वाला अमृत रस का स्वाद वाला, सुगंधित, दो भुजा वाला, फल और कमल का श्रायुध वाला, श्वेत वर्ण वाला, सौ योजन विस्तार वाला, द्विगुरणा उत्सेध वाला, दिव्य शक्ति को धारण करने वाला, स्त्रीलिंग वाला 'ई' कार का लक्षण है ।
उ – त्रिकोण आसन, वाला, कोक वाहन, ( ) दो भुजा वाला, मूसल गदा के प्रायुध वाला, धुन के वर्ण वाला, कठोर कडवा स्वाद वाला, सौ योजन विस्तार वाला, द्विगुणीत उत्सेध वाला, कठोर, वश्याकर्षण वाला ऐसा 'उ' कार का लक्षण है ।
ऊ – त्रिकोण आसन वाला ऊँट का वाहन वाला, लाल वर्ण वाला, कपायला रस वाला, निष्ठुर गध से सहित दो भुजा वाला, फल और शूल के प्रायुध को धारण करने वाला; नपुसकलिंग वाला, सौ योजन विस्तार वाला है, ऐसा 'ऊ' कार का लक्षण 1
ऋ - ऊँट के समान ऊँट के वर्ण वाला, सौ योजन विस्तार वाला, द्विगुणित ऊँट के मुख का स्वाद वाला, नाग का श्राभरण वाला, सर्व विघ्न मय, ऐसा 'ऋ' कार का लक्षण है ।