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________________ लघुविद्यानुवाद ६८५ नाग पत्र प्रलेपानां त्रिपुट कुंक मारून सन्नभम् ॥ तार वेदश्य त्रिगुरणं द्यत तारामायात कंचनम् ॥१॥ गधक लेके वाटे पानी से ताबे चे तगड को लेप करे। अग्निदेय ताम्र मरेनन्सर हिगुल जस्त मनशिल समभाग लेय वा ताम्र मरलेला एकत्र करिनिबू रस से खरल करे दिन ३ नतर सीस को पत्र करीतेवाट लेलो जिनस तेपत्रास लेप करे मग रान गोविरी को अगार क पुटती न देय । तर ते शीस मरेल नतर ३ भाग चादी १ भाग ते नाग भस्म मुसमे गलावे वसु थाय ॥इति।। गन्धकेन हले सुल्व दर देन समान मिता ॥ तते समा मनि शिला युक्तं मातु लिगेन मर्दताम् । त्रिषष्ट पुट तं नागं कु कुमारुन सन्न भम् ।। षोडशं शतार वेदान्त एवं भव तु कांचनम् ।।२।। गधक से तावामारे हिगुल क दोई समान मन शिल लेप निबू रस मे मर्दन करे शीशे पतरा __ को लेप करे नतर रान गोविरोके छपुट दे अग्नि की मूतर कु कम सारभस्म होय षोडष भाग चादी एक भाग चादी एक भाग ते भस्म एक भाग मुसमे गलावे पोत ।।इति।। गंधिकं मधु संयुक्तं हरि वीर्येन मर्दताम् ॥ भूमिस्ता मास मेकं तारा मयात कंचनम् ॥३॥ गन्धिक मदपारा एकत्र करी खल करै दिवस २ शीशी मे भरे। उकरडा मे गाढे मास १ मग काठुन तोला चा दीस मासादेय वसु ।।इति।। हार मेकं मयं तीरं तार नीक्षण चतुर्गणं ।। चतुरष्ट मष्टवंगं च वंगं स्थंभन रौषधम् ॥४॥ पीतल चादी पौलाद रेत ४ कथील भाग ८ एकत्र मुस मे गलावे, एक मेक होय जाय तब निकाल लेय ते जिनस घट होय नतर वारीक वाटी तोला कथील को पानी करी एक मासा कथीला सी देय रजत ॥इति।। हिगुलक उत्तम लेय तोला १ खडा काले बैगन मे भरे। फिर बैगन को कपर मिट्टी का लेप करे । अग्नि मे देय जब बैगन पक जाय, ठड भये काटे । ऐसे १०८ बैगन मे पकावे । एप्रमाण करे भस्म होय ते भस्म तोला ताबे को गू ज देय वसु ।। मन्त्र :-ॐ नमो अरिहंतारणं रसायनं सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा । इस मन्त्र का जाप्य ४५०० करे ।।इति।।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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