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________________ लघुविद्यानुवाद ६६७ (२) वृक्ष की छाल का चूर्ण, जीरे का चूर्ण समभाग आठ दिन तक सेवन करने से हर प्रकार का ज्वर दूर हो जाता है। (३) एक महीने तक सेवन करने से भूमिगत द्रव्य दिखाई देता है । (४) चालीस दिन तक सेवन करने से आयुष्य मे वृद्धि होती है। (५) पचास दिन तक सेवन करने से शरीर मे अत्यन्त वल बढता है । मृत्यु पर्यन्त ___ निरोग रहता है, इसका सेवन करते समय हल्का भोजन, खिचडी आदि खाना चाहिये। हाथा जोड़ी कल्प शुभ दिन शुभ योग मे ले, निम्नलिखित मन्त्र का १२५०० जाप करके इसको सिद्ध कर ले। मन्त्र :-ॐ किलि किलि स्वाहा । योग -(१) किसी भी व्यक्ति से वार्ता करने मे साथ रखे, तो बात माने । (२) जिसको भी वश करना हो उसका नाम लेकर जाप करे तो इसके प्रभाव से वह व्यक्ति वशीभूत होगा। (३) प्रयोग के बाद चादी की डिबिया मे सिन्दूर के साथ रखे । विजया कल्प इसका भिन्न-भिन्न मास मे भिन्न-भिन्न अनुपान से सेवन करने से अलग-अलग फल है जो निम्न प्रकार से है - (१) चैत्र मास में पान के साथ खाने से पंडित वने । (२) वैशाख मास मे अकलकरा के माथ खाने से जहर नही चढेगा । (३) ज्येष्ठ मास मे नीबू से खाने से, तावे के से रग का शरीर ।। (४) आषाढ मास मे चित्र बल से खाने से, केश कल्प हो । (५) श्रावण मास शिवलिगी से खाने से, बलवान बने । (६) भाद्र मास मे रुदवंती से खाने से, सबका प्रिय होता है। (७) अश्विन मास मे माल कागनी से, खाने से, अमरी उतरे स्वस्थ हो । (८) कार्तिक मास मे बकरी के दूध के साथ खाने से, सभोग शक्ति बढे । (६) मार्ग शीर्ष मास मे गाय के घृत के साथ खाने से, दृष्टि दोप मिटे ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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