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________________ लघुविद्यानुवाद ६५३ पुष्पार्क योग मे लज्जालु पचाग, शख पुष्पी पचाग, ( ) पचाग लक्ष्मण पचाग, श्वेत गु जा पचाग इन सब चीजो को ग्रहण करके गोली बनावे, जब कार्य पडे तब स्वय के थूक मे उस गोली को घिस कर तिलक करने से पर विद्या का छेदन होकर आजीविका की प्राप्ति होती है । रवि पुष्यामृत योग मे दूव पचाग का रस लाकर अष्टगंध मिलाकर दाया हाथ की अनामिका अगुली से माथे पर निरन्तर तिलक करने से सर्व जन वश में होते है । पुष्यार्क योग मे जाइ पुष्प का पंचाग और समुद्र फेन, गधेडा के मूत्र में गोली करके श्राख मे अजन करने से भूत प्रेत, व्यतरादि सव दोष का नाश करता है । पुष्यार्क मे धन्वतरि पचाग, लक्ष्मणा पचाग, शिवलिंगी पचाग इन तीनो का चूर्ण करके सू घने से आंधा शीशी तथा सूर्य वात का नाश होता है । पुष्यार्क योग मे एक डंडी पचाग, पुत्र जारी पचाग को तीन धातु के ताबीज मे डालकर हाथ मे बाधने से, सर्व जाति की अग्नि ठंडी हो जाती है । पुष्यार्क योग मे मुरगे की विष्टा, मयुर की विष्टा, लोमडी की विष्टा, चिमगादड को विष्टा और चतुष्पद पशुओ की रज, सबको इकट्ठा करे । पुष्यार्क योग मे सरपखा पचाग, चक्राग पचाग, मयुर शिखा पचाग इन सब चीजो को पानी के साथ पिलाने से सर्प जाति के विष से कभी मरण नही होता है | पुष्यार्क योग मे चक्राग पचाग, काक जघा पचाग पिलाने से अन्दर गाठ और गोलादिक शूल की शांति होती है । पुष्यार्क मे सहदेवी का पंचाग तीन धातुओ के ताबीज मे डालकर धारण करने में असमय मे गर्भपात कभी नही होता है । पुण्याकं मे सूर को विष्टा जमीन पर नही गिरे, उसके पहले हो ग्रहण करके मिष्ठान के साथ में हाथी को सिलाने से हाथो वश में होता है । पुष्पार्क योग में सफेद कौसा जड को, जो गणेशाकार होती है उसकी के साथ मे रखने से अष्ट सिद्धि और नव निधि की प्राप्ति होती है। गंगा पार को ताम्बा लाकर बने में मिलावे और कूट देव रोगात होता है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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