SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 731
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघुविद्यानुवाद व्यायापुत्रो भवति । कंठ सेलुना मूलं करे वध्वापीत ज्वरं नाशयति । श्वेत कटाइ मूलं पुष्प नक्षत्रे उत्पाटयेत् एक वर्ण गोक्षिरेण सहपिवेत पलास मूलं खारं हरिताल चर्ण, प्रलेपयेत् रोमनाशयति । जाती मूलं तंदुलोदकेन, सहपिवेत्, वातज्वरं नाशयति । श्रात्मग स्त्रिया वामपादं लिप्यतेस शीघ्र वशी भवति । 11 0 11 ६४५ अथलजालु कल्प शनिवार सध्या को जहा छुइमुइ ( लजालु ) का पेड हो वहा जाकर एक मुट्ठी चावल सुपारी रक्खे, फिर उस पेड को मोली धागा बाधे, अपनी छाया पेड़ पर नही पडने दे, सवेरे तुमको अपने घर ले जायेंगे, ऐसा कहे । फिर प्रभात ही पिछली रात को जाकर छाया रखकर उस पेड को उखाड लावे, उखाडते समय इस मन्त्र को २१ बार पढे ॐ भ्रू भ्र व मम कार्य प्रत्यक्ष भवतु स्वाहा । फिर जिसको वश करना हो उसके घर मे रखवादे तो वह वश में हो जाता है । लजालु पचाग १ छटाक, घो २ छटाक, गिरक रणी छटाक ३ सखा होली छटाक ३ सब चीज एकत्र कर गोली बनावे, फिर जिसको वश करना हो उसके खाने-पीने की चीजो मे मिलाकर खिला देवे तो वश होता है । वाद, विवाद, झगडे प्रादिक मे पास रखकर जावे तो सब लोग उसकी बात मानते है । गोरोचन के साथ घिसकर तिलक करे तो राजा प्रजा सर्वलोक वश होते है । 11 o 11 श्रथ श्वेतगुजाकल्प शुक्ल पक्ष मे श्वेतगुजा को दशमी के दिन पूरी जड सहित ले, पंचाग ले फिर उसकी जड को पान के साथ जिसको खाने को देवे वह वश होय, स्त्री वश हो । पान के साथ मे घिसकर गोरोचन
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy