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लघुविद्यानुवाद
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स्वर्ण माक्षिक ८ माशा, पारा ४ माशा, ताबा ४ माशा, सुहागा ४ माशा, इन सब चीजो को एक साथ गलाने से शुद्ध चादी होती है । २६ ।
शुद्ध गन्धक को प्याज के रस मे १०८ बार तपाकर बुझावे, फिर उस गन्धक को चादी के पत्रे पर गलावे तो सोना होता है । ३० ।
मेनशिल, सिधब, गोरोचन, भृगराज के रस में इन चीजो को घिस कर वाम हाथ पर, जिसको वश करना चाहे, उसका नाम लिखे, फिर अग्नि मे तपावे तो वगी होता है । ३१ ।
हस्त नक्षत्र रविवार के दिन अधाहुली को लेकर राजा के माथे पर डाले तो राजा वश होता है और दुष्ट व्यक्ति भी स्नेह करने लगता है। ३२ ।
अधोमुखा च जला च श्वेता च गिरि कणिका गोरोचन समीयुक्त , तिलक विश्व
चिता भस्म विष युक्त, धतुर चूर्ण मिश्रित, यस्यागे विक्षिप्ते सद्योयाती ।।३४।।
बेल के पत्ते का चूर्ण और विजोरा को बकरी के दूध मे घिसकर इष्ट मत्र से मत्रित कर तिलक करने से सामने वाला तुरन्त वश मे हो जाता है । ३५ ।
ब्रह्मदण्डी, वच व उपलेट का चूर्ण पूर्वोक्त मत्र से मत्रित कर पान मे रखकर रविवार को जिसको खिलावे वह वश मे हो जाता है । ३६ ।
__ श्वेत दूर्वा को कफीला गाय के दूध मे घिस कर अपने शरीर मे लेप करने से देखने वाले सब लोग वशी हो जाते है । ३७ ।
शनिवार धनिष्ठा नक्षत्र मे बवूल की जड को लाकर चूर्ण कर मत्रित कर जिसके ऊपर डाला जायगा, वह वशी हो जाता है । ३८ ।
सिन्दुर, कु कुम, गोरोचन को पावले के रस मे पीसकर तिलक करे तो सव मोहित होते है। ३६ ।'
श्वेत दूर्वा व हरताल को पीसकर तिलक करे तो सब मोहित होते है । ४० ।
रविवार को सहदेवी के रस में तुलसी का बीज पीसकर तिलक करे तो सब वश मे हो। ४१
मेष राशि के सूर्य मे एक मसूर का दाना, दो नीम की पत्तियो के साथ खाने से एक साल तर सर्प का भय नही रहता है । ४२ ।