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लघुविद्यानुवाद
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ॐ ह्रो अर्ह नमः परमेष्टिभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ह्री अर्ह नमः परमात्मकेभ्य स्वाहा ।। ॐ ह्रीं अर्ह नमोऽनाधिनिधनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ह्रीं नमो नृसुरासुर पूजितेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ह्रीं अर्ह नमोऽनन्तज्ञानेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ह्रीं मह नमोऽनन्त दर्शनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ह्री अर्ह नमोऽनन्तवीर्येभ्य स्वाहा ॥ ॐ ह्रो अर्ह नमोऽनन्त सौख्येभ्यः स्वाहा इत्यष्टभिर्मन्त्रः प्रतिमार्चनम् ।। ११ ॥
इन अाठ मन्त्रो का उच्चारण कर प्रतिमा की पूजा करनी चाहिये ।। ११ ।। ॐ ह्री धर्म चकायां प्रतिहत तेज से स्वाहा ॥ चकत्रयार्चनम ।। १२ ।। इस मन्त्र को पढकर तीनो मन्त्र से चक्रो की पूजा करे ।। १२ ।। ॐ ह्रीं श्वेतच्छत्रयश्रियै स्वाहा ॥ छत्रत्रय पूजा ।। १३ ।। इस मन्त्र का उच्चारण कर छत्र त्रय की पूजा करे ।। १३ ।।
ॐ ह्रीं श्री क्ली ऐं अहह्रौस २ सर्व शास्त्र प्रकाशनि वद् वद् वाग्वादिनी अवतर अवतर । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः संनिहिता भव भव वषट् क्लूनमः सरस्वत्यै जलं निर्वपामि स्वाहा ॥ एवं गन्धा क्षत पुष्प चरु दीप धूप फल व स्प्राभरणादिकम् । प्रतिमानं सरस्वती पूजा ॥ १४ ॥
ॐ ह्री श्री इत्यादि मन्त्र पढकर सरस्वती का आव्हान, स्थापन और सन्निधिकरण करे "क्लू" इत्यादि पढकर जल गन्ध अक्षत पुष्प नैवेध दीप धूप फल और वस्त्राभरणादिक से प्रतिमा के सामने सरस्वती की पूजा करे ।। १४ ।।
ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र पवित्रतरगात्र चतुर शीत लक्षरण गुणाष्टा दश सहस्त्र शोल गणधरचरणाः आगच्छत २ संवौषट इत्यादि गुरु पादुका पूजा ॥ १५ ॥
"ॐ ह्री” इत्यादि पढकर गणधरो की पादुका की पूजा करे ॥ ५१ ।।
ॐ ह्रीं कलियुग प्रबन्ध दुर्मार्ग विनाशन परम सन्मार्ग-परिपालन भगवन् यक्षेश्वर जलार्चन गृहाण गृहारण इत्यादि जिनस्य दरिगरणे यक्षाचनम ॥ १६ ॥
"ॐ ह्री' इत्यादि पढकर जिन भगवान के दक्षिण की ओर यक्षो की पूजा करे ।। १६ ॥