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लघुविद्यानुवाद
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(१०) श्री शीतलनाथजी (कल्पवृक्ष का चिन्ह) "बाह्य यक्ष जिन शासनदेव"-श्वेत वर्ण, कमल आसन, चार मुख और आठ हाथो वाला है। बाएं हाथ मे धनुष, दण्ड, ढाल और वज्र तथा दाहिने हाथ मे बाण, फरसा, तलवार और वरदान को धारण करने वाला है। (चित्र न० १६)
"चामुण्डा देवी (मानीव चामुण्डी) यक्षिणी"-हरे वर्ण वाली, काले सूअर की सवारी, चार भुजा वाली है, हाथो मे मछली माला, बिजोरा फल और वरदान धारण करने वाली है। (चित्र न २०)
क्षेत्रपाल-४ शतवीर्य, महावीर्य, बलवीर्य, कीर्तिवीर्य ।
(११) श्री श्रेयांसनाथजी (गडे का चिन्ह)
"ईश्वर यक्ष"--श्वेत वर्ण, बैल को सवारी करने वाला, त्रिनेत्र तथा चार भुजा वाला है। बाएं हाथ मे त्रिशूल और दण्ड तथा दाहिने हाथ मे माला और फल को धारण करने वाला है। (चित्र न० २१)
"गौरी यक्षिणी"-स्वर्ण वर्ण तथा हरिन की सवारी करने वाली, चार भुजा वाली है। हाथो मे मुग्दर, कलश, कमल और वरदान को धारण करने वाली है । (चित्र न २२) क्षेत्रपाल-४ तीर्थ रुचि, भाव रुचि, भव्य रुचि, शान्ति रुचि ।
(१२) श्री वासुपूज्यजी (भैसे का चिन्ह) "कुमार यक्ष"-श्वेत वर्ण तथा हस की सवारी करने वाला है। त्रिनेत्र और छह भुजा वाला है । बाएं हाथ मे धनुष, नोलिया और फल तथा दाहिने हाथो मे बाण, गदा और वरदान को धारण करने वाला है। (चित्र न० २३)
___ "गान्धारी (विन्धुन्मालिनी) क्षिणी"-हरित वर्ण, मगर वाहिनी तथा चार भुजा वाली है। ऊपर के दोनो हाथ मे कमल, फल, वरदान युक्त है। (चित्र न० २४) क्षेत्रपाल-४ लब्धि रुचि, तत्व रुचि, सम्यक्त रुचि, तूर्य वाद्य रुचि ।
(१३) श्री विमलनाथजी (सूअर का चिन्ह) "चतुर्मुख यक्ष"-वर्ण मुख, हरित वर्ण वाला, मोर की सवारी करने वाला चार मुख, बारह भुजा वाला है। ऊपर के आठ हाथो मे फरसा तथा बाकी के चारो हाथो मे तलवार, ढाल, माला और वरदान धारण करने वाला है। प्रतिष्ठा तिलक मे छह मुख वाला चित्र है। (चित्र नं० २५)