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लघुविद्यानुवाद
क्षेत्रपाल --- ४ क्षेम भद्र, क्षाति भद्र, श्री भद्र, शान्ति भद्र ।
( ३ ) श्री संभवनाथजी (घोड़े का चिन्ह )
"त्रिमूख यक्ष " -- कृष्ण वर्ण वाला, मोर वाहन वाला, तीन नेत्र व तीन मुख वाला, छह भुजा वाला, बाऐ हाथ मे चक्र, तलवार व कुश और दाहिने हाथो मे दड, त्रिशूल और तीक्ष्ण कतरनी को धारण करने वाला है । (चित्र न० ५ )
"प्रज्ञप्ति यक्षिरणी " - श्वेत वर्ण, पक्षी की सवारी, छह हाथ वाली, हाथ मे अर्द्धचन्द्रमा, फरसा, फल, तलवार, तुम्बी और वरदान का धारण करने वाली है । (चित्र न० ६ ) क्षेत्रपाल - -४ वीर भद्र, वलि भद्र, गुरण भद्र, चन्द्राय भद्र ।
(४) श्री अभिनन्दननाथजी ( वानर का चिन्ह )
" यक्षेश्वर यक्ष" - कृष्ण वर्ण वाला, गज की सवारी, चार भुजा वाला, बाऐ हाथ मे धनुष और ढाल, दाहिने हाथ मे बारग और तलवार धारण करने वाला है । (चित्र न० ७ )
"वज्र शृखला यक्षिणी" - स्वर्ण सी काति वाली, हस वाहिनी, चार भुजा वाली, हाथो मे नाग पाश, बिजोरा फल, माला और वरदान धारण करने वाली है । (चित्र न० ८ )
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क्षेत्रपाल - ४ महा भद्र, भद्र भद्र, शत भद्र, दान भद्र ।
( ५ ) श्री सुमतिनाथजी ( चकवे का चिन्ह )
" तुम्बरु यक्ष" - कृष्ण वरण वाला, गरुड की सवारी और यज्ञोपवीत धारण करने वाला, चार भुजा वाला है । ऊपर के दोनो हाथो मे सर्प, नीचे दाहिने हाथ मे वरदान तथा बाएं हाथ मे फल धारण करने वाला है । (चित्र न० ६ )
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"पुरुष दत्ता यक्षिणी" – ( खङ्गवरा ) स्वर्ण के वर्ण तथा हाथी की सवारी करने वाली, " चार भुजा वाली है । हाथो मे वज्र, चक्र और वरदान धारण करने वाली है । (चित्र न० १० ) क्षेत्रपाल - - ४ कल्याण चन्द्र महा चंन्द्र, पद्म चन्द्र, नय चंद्र |
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(६) श्री पद्मप्रभुजी ( कमल का चिन्ह )
"पुष्प यक्ष" - कृष्ण वर्ण वाला, हरिन - वाहन, चार भुजा वाला । (वसु नन्दि प्रतिष्ठा कल्प मे चार भुजा वाला है ।। दाहिने हाथ मे माला व वरदान तथा वाऐ हाथ मे ढाल और अभय को air करने वाला है । (चित्र न० ११)