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लघुविद्यानुवाद
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यत्र न०६६
되
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इस यन्त्र को अष्टगध से भोजपत्र पर लिखकर, गुग्गुल का धूप देकर, गले में धारण करने से दुष्ट स्वत्नो का दीखना बन्द हो जाता है ।।६६||
यत्र न०४७
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इस यन्त्र को केशर, गोरोचन अथवा रोली से भोजपत्र पर लिखकर, गाय के गले मे और भैस के सीग मे गूग्गल की घूप देकर वाघने से वह बच्छे को लगाने तथा वहुत दूध देने लगती है ॥१७॥