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लघुविद्यानुवाद
यत्र न० ८८
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नये खप्पर पर खडिया मिट्टी से यन्त्र को लिखकर पुष्पादि से पूज कर धूलि से पूर्ण अग्नि मे रखकर रवैर की अग्नि से प्रज्वलित करे। इस यन्त्र के प्रभाव से भूतादिक, रोते कापते हुये बालकादिक को अथवा कोई भी हो छोडकर भाग जाते है। उस देश मे ही वास नहीं करते है ।।८८॥
यत्र न०८६
इस यन्त्र को भो बवासीर दूर हो जाता है ।।६।।