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लघुविद्यानुवाद
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पानी के साथ स्याही बनाकर लिखे। लाल चन्दन का धूप जलावे, दीपक मे घी जलाव, फिर इस यन्त्र को मकान के छप्पर मे अथवा छत मे बाधे, सोने के समय उपरोक्त मन्त्र १०८ बार १३ दिन तक जपे, फिर (उवात्रण हावरणीनी मारवो) मन की इच्छा पूर्ति
हो । इच्छित व्यक्ति वश मे हो । तृतीय मन्त्र-ॐ ह्री क्ली क्षा क्ष फुट् स्वाहा। विधि .-इस यन्त्र को शत्रु के वस्त्र पर, रजेकरी श्मशान के कोयले से लिखकर फिर इस मन्त्र
का १०८ बार जप करे, धूप श्मशान रक्षा डोडढीषापाट जाग पख, उल्लू का पख लेकर हवन करे, इस रीति से करके यन्त्र काले कपडे मे बाधकर, एक पत्थर मे बाधे, फिर उसको कुए मे प्रवेश करा देवे याने कुएँ मे डाल देवे, फिर नित्य १०८ बार जपे ४१ दिन तक
उपरोक्त धूप जलावे तो विद्वेषण होगा। __चतुर्थ मन्त्र-ॐ ह्री पचागुली अस्य उच्चाट्य २ ॐ क्ष क्ली क्ष घे स्वाहा । विधि :-इस यन्त्र को धतुरे के रस से लिखकर पृथ्वी मध्ये कोयला से ये उपरोक्त मन्त्र का
१०८ बार जप करता हुआ यन्त्र को पृथ्वी मे गाडे और उस मन्त्र के ऊपर अग्नि जलावे । ७ दिन के अन्दर कार्य होता है। भूत, प्रत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, चुडेल च डावली, जीद, झोटीग के लिये इस यन्त्र को विष से लिखकर कटि मे बाधे तो सर्व बाधा का नाश होता है । सर्व गुणो की प्राप्ति होती है।
पंचम मन्त्र- ॐ ह्री पा पी ष्पू ष्पौ ष्प मम् शत्रुन् मारय २ पचागुली देवी चूसय २ नीराधात
वज्रनपातय २ फुट २ घेघे । विधि :-अभिचार कर्म के लिये इस यन्त्र को काले कपडे पर श्मशान के कोयले से लिखे, ॐकार
के नीचे नाम लिखे। सध्या मे इस मन्त्र का जप करे १०८ बार, धूप भेसा गुग्गल का जलावे ( यन्त्र गरीयल डोरे) फिर इस यन्त्र को रेशमी डोरे से लपेट कर एकात स्थान मे गाड देवे, तीर्थ की धारा छोडे, धूप गुग्गुल का जलावे, जिस जगह यन्त्र गाडा हो, उस कोने मे उपरोक्त मन्त्र का जाप करे १०८ वखत, व्यक्ति के पाव के नीचे की धूल और गुग्गुल के साथ मे जलावे, २१ दिन तक करने से व्यक्ति परेशान हो जायेगा । कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन करे। अगर व्यक्ति परेशान होकर पावो मे आकर पडे, तब गड़ा हुमा यन्त्र को निकाल कर, दूध मे उस यन्त्र को भिगो