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________________ लघुविद्यानुवाद ५८३ इस यन्त्र को लिखते समय, प्रथम १ कलश पानी से भरकर विधि से रक्खे, फिर आम के पत्ते पर कु कुम विछाकर अनार की कलम से यत्र लिखकर अष्टद्रव्य से पूजा करे । मन मे कामेश्वरी देवी का ध्यान करे, यन्त्र को लिखते समय ॐ ह्री श्री पार्श्वनाथाय नम । यन्त्र लेखन कार्य जब पूरा हो जाय तब पूजन करने के उपरात इस मन्त्र का जप करता रहे । ॐ नमो कामदेवाय महाप्रभाय ह्री कामेश्वरी स्वाहा। इस मन्त्र का ७२ वार जप करे, मन्त्र जपने के बाद लिखा हुआ यन्त्र मिटा दे, इस प्रकार पुन लिखे पुन. मिटाये प्रतिदिन, इस तरह २४ यन्त्र लिखे। २४वे यन्त्र के वाद मन्त्र की २१ माला जपे, प्रतिदिन इसी नियम से करता रहे । एक दिन के लिखे यन्त्र को गेहू के आटे मे थोडा सा मीठा (मिश्री) मिलाकर घी और बुरा मिलाकर गोली बाधकर नदी मे वहा दे। साधक जौ की रोटी, वथुप्रा के साग को खाये । पृथ्वी पर शयन करे तथा ब्रह्मचर्य पालन करे, सत्यादि निष्ठा से रहे । ७२ दिन तक इसी क्रिया को करता रहे और इसी अवधि मे सवालक्ष जप पूरा करे । जब जप पूरा हो जाय, तब दशास होम करे । यतियो को दान दे । उसके बाद प्रतिदिन एक २ यन्त्र लिखकर उस यन्त्र की पीठ पर ७२ टके चलन बाज र दे। उस अपने बैठने के आसन पर रखकर ७२ यन्त्र जप ले । ७२ टके बाजार मिले तो किसी से कहे नही, कहेगा तो देना बध हो जायेगा । यदि आसन के नीचे नही आयेगे तो किसी तरह से कुटुम्ब के पालन के लायक खर्च करने को धन प्राप्त होता रहेगा। इसके उपरात यन्त्र को आसन के नीचे से उठाकर पगडो मे रखले तथा दूसरे दिन गोली बनाकर नदी मे बहादे। जो यन्त्र किनारे पर आ जाये, उसे एक आले मे रख दे तथा उस पर सफेद वस्त्र का पर्दा डाल दे और प्रति दिन पुष्प चढाकर धूप दे दिया करे ।। ६४ ।। पंचांगुली यन्त्र व मन्त्र की साधन विधि, यन्त्र नं० ६५ की विधि प्रथम-मन्त्र -ॐ ह्री पचागुली देवी देवदत्तस्य आकर्षय २ नम स्वाहा । विधि :-इस यन्त्र को अष्टगध से लिखकर, मध्य मे देवदत्त का नाम लिखकर, फिर उपरोक्त मन्त्र का १०८ बार जप करे, फिर बडे बास की भोगली के अन्दर यन्त्र डाले, तो ४१ दिन के अन्दर हजार गउ से मनुष्य अथवा स्त्री का आकर्षण होता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी से प्रारभ करे। द्वितीय मन्त्र-ॐ ह्रो पचागुली देवी अमुको अमुकी मम वश्य श्र श्रा श्री स्वाहा । विधि -इस यन्त्र को देवदत्त के कपडे पर शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हिगुल, गौरोचन, मूग के
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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