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लघुविद्यानुवाद
लक्ष्मी प्राप्त पर जरद धोतो, जरद माला, जरद आसन, जरद फूल, पद्मासन से वैठकर उत्तर दिशा मे मुंह करके श्री पार्श्वनाथ प्रभु के सामने चपा के पुष्प १०८ से जप करे, रविवार से लेकर आठ दिन पर्यंत नित्य ही केशर, चन्दन, अगर कपूर से यत्र पूजा करे, लक्ष्मी लाभ होगा, पात वर्ण का ध्यान करे । वश्य करने के लिये लालासन, लाल माला, लाल कपडा, पूर्व दिशा मे मुख या उत्तर दिशा मे मुख पद्मासन से पार्श्वप्रभु के सामने ररिवार से लेकर आठ दिन पर्यंत, कनेर के १०८ फूलो से नित्य करे, सर्ववश्य होगा, फूल नित्य ही ताजा चुने हुये होने चाहिये। लाल ध्यान करे। भूत प्रत, शाकिनी, डाकिनी का उपद्रव हटाने के लिए, काला आसन, काला कपडा. काली माला, पच वर्ण के पुष्पो से लोह रक्षा करते हुए, पटकोण यन्त्र, सामने रख कर, पूर्व दिशा मे बैठकर १०८ बार २ जप आठ दिन पर्यंत नित्य जप करे । भूतादि दोष नष्ट होता है ।।५३।। परविद्या छेदन
कलि कुण्ड यन्त्र
यत्र न०५४
स्वामिन्नतुलबलवीर्यप सुदाधिषस्फ्रास्फी स्त्री स्फ ममझात्मविद्या
हफाट्यविदरमिद
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इस यन्त्र को भोजपत्र पर केशर से लिखकर गले या हाथ मे बाधे, तो परकृत विद्या, मूठ, कामण से रक्षा होती है । यन्त्र मे लिखे हुये मन्त्र का साढे बारह हजार जप करे और दशास होम करे ॥५४॥