________________
संघातिपति प्राचार्यो का फोटो कलेण्डर का प्रकाशन--
ग्रन्थमाला समिति ने सघाधिपति आचार्यों का फोटो कलैण्डर प्रकाशित करवाकर इस कलैण्डर की प्रथम प्रति परमपूज्य सन्मार्ग दिवाकर निमित्तज्ञान शिरोमणि श्री १०८ प्राचार्य विमल सागरजी महाराज को दिनाक २३-१२-८८ को सिद्धक्षेत्र श्री सोनागिरजो मे भेट की गई।
इस फोटो कलैण्डर के मध्य मे वर्तमान युग के प्रथम दिगम्बर जैनाचार्य परमपूज्य समाधि सम्राट श्री १०८ प्राचार्य आदि सागरजी महाराज (अकलीकर) का फोटो प्रकाशित किया गया है।
इसके चारो ओर परमपूज्य श्री १०८ आचार्य शाति सागरजी महाराज, प्राचार्य महावीर कीर्तिजी महाराज, आचार्य देशभूषणजी महाराज, आचार्य विमलसागरजी महाराज, आचार्य धर्म सागरजी महाराज, प्राचार्य सन्मतिसागरजी महाराज, आचार्य अजितसागरजी महाराज, आचाय विद्यासागरजी महाराज, प्राचार्य विद्यानन्दजी महाराज, आचार्य बाहुबली सागरजी महाराज, प्राचार्य सुबलसागरजी महाराज, गणधराचार्य कुन्थुसागरजी महाराज के फोटो प्रकाशित किये गये है।
इसके नीचे श्री १०५ गणिनी आर्यिका विजयामती माताजी, गणिनी आयिका सुपार्वमती माताजी, गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी, गणिनी प्रायिका कलभूपण श्री माताजी के फोटो प्रकाशित किये गये है।
इसमे परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज के विशाल सघ तथा आर्यिका सघ के फोटो भी प्रकाशित किये गये है। मध्य मे पारा (बिहार) मे श्री चन्द्रप्रभु मन्दिर मे विराजमान अतिशयकारी श्री ज्वालामालिनी देवी का फोटो प्रकाशित किया गया है।
इस प्रकार यह कलैण्डर बहुत ही सुन्दर तथा मनमोहक है। इसके प्रकाशन मे समिति का यही उद्देश्य है कि एक ही फोटो कलैण्डर के माध्यम से सभी भव्य आत्माओ को सभी साधनो के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो सके।
प्रथम पुष्प लघुविद्यानुवाद ग्रन्थ का पुनः प्रकाशन
ग्रन्थमाला समिति द्वारा प्रथम पुष्प के रूप में प्रकाशित 'लघुविद्यानुवाद' ग्रन्थ का पुन प्रकाशन करवाया गया है । यह ग्रन्थ यत्र, मत्र, तत्र विपय का एक मात्र सदर्भ ग्रन्थ है।
इस प्रकार पाठकगण अवलोकन करे, कि ग्रथमाला समिति के सीमित प्राथिक साधन होते हये भी इतने कम समय मे उपरोक्त महत्वपूर्ण ग्रथो के प्रकाशन करवाने में सफलता प्राप्त की है। सभी ग्रन्थ एक से बढकर एक है और सभी ज्ञानोपार्जन के लिये विशेष लाभकारी सिद्ध हुये है। ऐसे सभी प्राचार्यो साधुवो विद्वानो के विचार हमे समय-२ पर प्राप्त होते रहे है, यह सभी सफलता परम