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लघुविद्यानुवाद
(७) देवदत्त लिखे ऊपर एक वलय लिखे उस वलय मे क्रमश अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लु
ल ए ऐ ओ औ अ अ ये स्वर लिखे, फिर ऊपर से एक वलय और खीचे उस वलय मे ॐ ह्री चामु डे लिखे। ये हुई यन्त्र रचना । यन्त्र न ७ देखे ।
प. श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं. ३
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विधि
इस यन्त्र से अभिचार (मारण) कर्म भी दूर होता है -इन दोनो यन्त्रो को केशर गोरोचन से भोज पत्र पर लिखकर यन्त्र को वेष्टित करके हाथ मे बाधने से वघ्या गर्भ धारण करती है और उसके गर्भ मे मरे हुए बच्चे कभी नही होगे। दूसरे यन्त्र के प्रभाव से काक बध्या भी प्रमव धारण करती है। यन्त्र न ६-७ की विधि है।