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________________ त अभिचार कार्म मन्त्र — ॐ ह्रा ह्री ह्र ह्रीं ह्र' असि ग्राउसा प्रस्या एतन्नाम धेयस्य तीव्र ज्वर कुरु २ घ घे । इस महायन्त्र को जहर से ग्रथवा किसी मादक द्रव्य से मिश्रित काले रंग से यन्त्र लिखे, दोपहर के बाद, ईशान दिशा मे मुख करके, काले वस्त्र, भद्रासन से बैठे, वज्र मुद्रा बनावे, खदिरमणि की जपमाला से मन्त्र का जप १०८ बार करे तो ज्वर चढे शिरो रोग हो । आदि । महायन्त्र २ वर शह दशान thile लोक प्रस नात E de रा re عالم AC s धरमेन्द्र जय 021 कीनरे Fees cexeyve 2 Tic रिस्प मोर न्द्र लता का गाना फेनु ट्र सर पुरूषदता नम लघुविद्यानुवाद अ सोम कालि उसे 山 भाभीने अपरा Kundant कुमार गर J रि सिएका धारि लि नस प नम आदित्य इन्द्र ननुमुख 110 tin 10 जम्मे नमा भूतेन्द्र विराट सधदाय नग Wat जग иде पिर अनन्ते ant गोहे नमः Joject तच Frerkuts まみ ना पातान 000 7 दार ● चिद्र २२० 也 मगध स हे रोम अग्नि shre ॐ त ३६ ༣
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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