________________
लघुविद्यानुवाद
३७३
यन्त्र न० २३३
यात्र न० २३४
१४
२५ ।
२
__ २२ ।
१
।
२४
१६
२०
२३
यह यन्त्र लिख धोय पिलाव, सुख से प्रसव होय, कष्ट छुटै ॥२३३॥
पोपल के पत्ते पर लिख कर चर्खे से बाघ उल्टा घुमावै, परदेश गया हुआ आवै ॥२३४।।
यन्त्र न०२३५
।
क्ष
5
!
कक hd
ho
!
I
hd
।
भोज पत्र पर लिख सिरहाने राखे तो स्वप्न पावै नही ॥२३॥