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३७०
ॐ
स
देवदत्त
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४
ह
स.
२
जमीन मे लिखे मेटे, शत्रु उच्चाटन होय || २२२ ।।
यन्त्र न० २२३
लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न० २२२
किकाली महा कं काली
कंदली महा कं दलौ
५
यन्त्र न० २२४
७
ज
गौरी खंडी
महा महा गौरी च
डास चीज यहा डोहा रु राजु
its
ख ज्ञ
८
१
६
इस यन्त्र को पान मे रख खिलावे वश्य होय || २२३ ||
और विगहा भैरवी
गांधारी महा गांधा
इस यन्त्र को भोजपत्र पर लिख कर कमर मे वाधे, तो सर्व वायु जावे ॥ २२४॥