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लघुविद्यानुवाद
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यन्त्र न० १८३
यन्त्र न० १८४
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। ४४
यन्त्र क्रौच का रस सू लिख, भोज-पत्र, ऊपर घर मे राखे तो सर्प, आवे नही ।।१८३।।
यन्त्र पौली के दरवाजे लिखै, शत्रु देख जल मरै । शत्र वश होय सही ।।१८४।।
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-यन्त्र न. १८५
काई मः
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__गेहूँ को रोटी आदित्यवार के दिन करावै। ११ तिह ऊपर यह यन्त्र लिखिये ते रोटी छाया मे सुखावे, पुरुष कुत्तीस्वाननी ते खिलावै तो स्त्री वश्य होय और स्त्री स्वान ने खिलावै तो पुरुप वश्य हो ॥१८॥
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