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लघुविद्यानुवाद
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जगत्रय कल्पवृक्ष ॐ ह्रा ही समीहितं सिद्धये स्वाहा विधि :-पुनर्वसु, पुष्य, श्रमण और धनिष्ठा नक्षत्र मे जाप करना, १२,५०० (साढे बारह हजार)
जप करे। फिर बाद मे एक माला रोज जप करते रहना ।। ११०-१११-११२ ।। इन तीनो ६५ या यन्त्र की विधि एक ही है।
यन्त्र न० ११३
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इस यन्त्र को अण्ट गन्ध से भोज पत्र पर लिखे । कटि मे बाधे, नाभि ठिकाने पावे ॥११३॥