________________
२१४
लघुविद्यानुवाद
सर्व रोगनिवारण यन्त्र न० ८०
पा
स
| नाह
मा । ब
क्ली | श्री । ती | मा । तृ । देवी | मम | विस
5/
झो | श्री | रोग | शोक | भय / द्वेष
जरा | मरण | विघ्न
झो । श्री विघ्न
जा | दि
भ
।
य | चो
ह्री | श्री | श | दि
भ
य
।
व्या | घ्रा । दि
ही
थी । भय ।
सि | हा ।
दि
|
भ
।
य
|
10
ट
स्वाहा
इस यन्त्र का राव पुष्य या शुभ योग में कासी की थाली में खुदवाना । अष्ट गध या मे अक्षर अक्षर की पूजन कर सुखाना, पीछे उसे पानी से धोकर उस पानी का दिन मे तान वार पिलाने से सर्वग्राधि, व्याधि रोग, पोड़ा भय, मिट जाता है ।।८०॥