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________________ २८६ लघुविद्यानुवाद मे, पुत्र प्राप्ति के हेतु बनाना हो तो अष्ट गध से लिखना चाहिये । भोज पत्र पर काला दाग न हो और स्वच्छ हो। कागज पर लिखे तो अच्छा कागज लेवे और शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (पूर्णा) तिथि पचमी दशमी पूर्णिमा को अच्छा होगा देख कर तैयार करे । लेखनी चमेली की या सोने की नीब से लिखे और पास मे रखे तो मनोकामना सिद्ध होगी और सुख प्राप्त होगा। धर्म पर पावन्द रह पुण्योपार्जित करने से आशा शीघ्र फलती है। इप्ट देव के स्मरण को नहीं भूलना चाहिये ॥४०॥ एक सौ सत्तारिया दूसरा यंत्र ॥४१॥ . इस यन्त्र को लक्ष्मी प्राप्ति हेतु जय विजय के निमित्त 'इस यन्त्र को भी काम लेते है। गर्भ रक्षा और अन्य प्रकार की पीडा मिटाने के लिये भी काम लेते है गर्भ रक्षा करने के लिए इस यन्त्र को अच्छे दिन शुभ समय मे अष्ट गध से भोज पर पत्र अथवा कागज पर लिखना चाहिये। ये एक यत्र न० ४१ ४८ ४१ सौ सत्तरिया दोनो यन्त्र लाभदायी है । नीति न्याय पर चलना चाहिए और इष्ट देव को स्मरण करत । रहना जिससे यन्त्राधिष्टायक देव प्रसन्न होकर मनोकामना सिद्ध करेगे। यन्त्र मादलिया मे रखे या मोम के कागज मे लपेट कर पास मे रखे ॥४१॥ व्यापार वृद्धि दो सौ का यंत्र ॥४२॥ इस यन्त्र का दो विधान है। पहला विधान तो यह है कि दीवाली के दिन अर्ध रात्रि के समय सिन्दूर या हीगुल से दुकान के बाहर लिखे तो व्यापार की वृद्धि होती है। दूसरा विधान यह है
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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