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लघुविद्यानुवाद
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प्रसूती पीड़ा हर उन्तीसा यन्त्र ॥१६॥ यह यत्र उन्तीसा और तीसा कहलाता है। ऊपर के तीन कोठे और बायी तरफ के तीन कोठो मे तो उन्तीस का योग आता है। और मध्य भाग के तीनो कोठे और नीचे के
यन्त्र न०१६
तीन कोठे और ऊपर से नीचे तक मध्य विमाना व दाहिनी ओर के तीन कोठो मे तीस का योग आता है गर्भ प्रसव के समय मे यदि पीडा हो रही हो तब इस यन्त्र को कुम्हार के अवाडे की कोरी कोठरी पर अष्ट गध से लिखकर बताने से प्रसव सुख हो जाएगा। बताने के बाद भी पीडा होती है तो यन्त्र को पीतल या ताबे के पत्त पर थाली मे अष्ट गध से अनार की कलम से लिख कर धूप देकर धोकर पिलाने से पीडा मिटती है और प्रसव सुखपूर्वक हो जायगा ॥१६॥
गर्भ रक्षा तीसा मन्त्र ।।२०।। यह यन्त्र जब प्रसव का समय निकट नही और पेट मे दर्द या और तरह की पीडा होती है
यन्त्र न० २०