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लघुविद्यानुवाद
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मनुष्य चितातुर हो जाते है और यन्त्र मन्त्र वालो की तलाश करने मे बहुत साधनं खर्च करते है ऐसे समय मे यह बीसा यन्त्र काम देता है। यन्त्र को यक्ष कर्दम से अनार को कलम से लिखना चाहिये लिखते समय उत्तर दिशा की तरफ मुह करके बैठना और यन्त्र भोज पत्र पर अथवा कागज पर
यन्त्र न० १६
लिखवा कर दो यन्त्र करा लेना। जिसमे से एक यत्र को मादलिया मे रखकर गले मे या हाथ मे बाँध देना । दूसरा यत्र नित्य प्रति देखकर डब्बी मे रख देना और जिस समय पीडा हो तव दो-चार मिनट तक पाखे बन्द किये बगैर यत्र को एक दृष्टि से देखकर वापस रख देना, सो पीड़ा दूर जायेगी, कप्ट मिटेगा और धन व्यय से बचत होगी। धर्म नीति को नहीं छोड़ना ।।१६।।
बाल भय हर इक्कीसा यन्त्र ॥१७॥ बालफ को जब पीडा होती है, चमक हो जाती है तब अधिक भय पुत्र की माता को
यन्त्र न०१७