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________________ लघुविद्यानुवाद २६७ मनुष्य चितातुर हो जाते है और यन्त्र मन्त्र वालो की तलाश करने मे बहुत साधनं खर्च करते है ऐसे समय मे यह बीसा यन्त्र काम देता है। यन्त्र को यक्ष कर्दम से अनार को कलम से लिखना चाहिये लिखते समय उत्तर दिशा की तरफ मुह करके बैठना और यन्त्र भोज पत्र पर अथवा कागज पर यन्त्र न० १६ लिखवा कर दो यन्त्र करा लेना। जिसमे से एक यत्र को मादलिया मे रखकर गले मे या हाथ मे बाँध देना । दूसरा यत्र नित्य प्रति देखकर डब्बी मे रख देना और जिस समय पीडा हो तव दो-चार मिनट तक पाखे बन्द किये बगैर यत्र को एक दृष्टि से देखकर वापस रख देना, सो पीड़ा दूर जायेगी, कप्ट मिटेगा और धन व्यय से बचत होगी। धर्म नीति को नहीं छोड़ना ।।१६।। बाल भय हर इक्कीसा यन्त्र ॥१७॥ बालफ को जब पीडा होती है, चमक हो जाती है तब अधिक भय पुत्र की माता को यन्त्र न०१७
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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