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लघुविद्यानुवाद
ग्रीवा भजय २ हू फट् २ धे २ । ॐ छ्यू ज्वालामालिनि ही क्ली ब्लू द्वाद्री छ्रा छ्री छू छौं छ हा सर्व दुष्ट ग्रहारणा अन्त्राणि छेदय २ ।
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हू फट् फट् घेघे । ॐ ठ्ल्यू ज्वालामालिनि ह्री क्ली ब्लू द्वाद्री ठाठी ठूठी ठू हा सर्व दुष्ट ग्रहान् विद्युत्पःपारण अस्त्रेण ताडय २ भुम्या पातय २ हूँ फट् फट् घे घे । ॐ ज्वालामालिनि ह्री क्ली ब्लू द्वाद्री व्रा व्री ब्रू व्रो व्र. हा सर्वदुष्ट ग्रहान समुद्र े मज्जय २ हू फट् फट् घेघे । ॐ म्यू ज्वालामालिनि ह्री क्ली ब्लू द्वा द्री ड्रा ड्री ड्र ड्री ड्र हा. सर्व किन मर्द २ हूँ फट् फट् घे घे झौ झ सर्व शाकिनि मर्दय २ हूँ फट् फट् धे धे सर्व योगिनिस्तर्जय तर्जय सर्व शत्रून् ग्रासय २ ख ख ख ख ख ख खादय खादय स त व म हा झ सर्व ग्रहान् उत्थापय २ नट नट नृत्य नृत्य स्वाहा य य सर्वं दैत्यान् ग्रस ग्रस विध्वसय २ दह दह पच पच पाचय २ घर २ धम २ घुरू २ पुरू २ फुरु २ सर्वोपद्रव महाभय स्तभय २ झम् २ ह ह दर दर पर २ खर २ खड्गेरावरण सद्विद्यया घातय २ पातय २ चन्द्रहास शस्त्रेण छेदय २ भेदय २ झ झ ह ह ख ख घ घ दद फट् फट् घेघं हा हा आक्रौ क्ष्वी क्षो ह्री क्ली ब्लू द्राद्री क्रौ क्षी क्षी क्षी क्षी ज्वालामालिन्या ज्ञापयति स्वाहा । श्रय पठति ससिद्धि
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॥ इति ॥
इस ज्वालामालिनीपठति सिद्ध माला मन्त्र को ७० दिन तक दीप धूप रखकर नित्य ही १ बार पढने मात्र से सिद्ध हो जायगा, फिर प्रत्येक व्याधि मे पानी मन्त्रित करके देने से अथवा झाडा देने से सर्व व्याधि दूर हो, और भूत, प्र ेत, शाकिनि आदि तथा परविद्या का प्रभाव नष्ट होता है ।
( सरस्वती मंत्र : ) पाप भक्षणी विद्या
मन्त्र :- ॐ श्रर्हन् मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयंकरी श्रुत ज्ञान ज्वाला
सहस्त्र प्रज्वलने सरस्वती मत्पापं हन २ दह २ पच २ क्षां क्षीं क्षू क्ष क्ष क्षीर वर धवले अमृत संभवे ( पल्लवे) श्रमृतं श्रावय २ वं वं हुं फट्
स्वाहा ।
विधि
. - केशर घिसकर गोली ३६० बनाकर दीपोत्सव के दिन अथवा शरद पूर्णिमा के दिन अर्हन्त प्रतिमा के सम्मुख साधन करे । १००० जप करे। उपरोक्त से १ गोली को